सालों बाद आज वो घर को आया था। इन MNC’s का चककर ही ऐसा होता है। और विदेश की लालसा भी अलग ही होती है। कुछ चिजें कभी नहीं बदलती। उनका अस्तित्व और उनकी खूबसूरती दोनों ही उनके न बदलने में है।
अब जैसे की उसका वो मुहल्ला। Globalization की कोई छाप नहीं पड़ी थी वहाँ। सब कुछ ज्यों का त्यों। Sharma आंटी को आज भी लौंडे “Hippo” केह कर चिड़ा रहे थे। Das अंकल आज भी अपनी वही पुरानी Fiat को जान लगा कर चमका रहे। पुरानी पुलिया पर लौंडे आज भी चिलम पि रहे थे। न जाने उन्हें “Malboro” और “Gold Flake” के अस्तित्व का पता भी था कि नहीं।
कुछ भी नहीं बदला था उन 4 सालों में। या शायद कुछ बदल चुका था। बदल चुकी थी वो …
कैसी दिखती होगी अब? शादी हो गयी होगी क्या? कहीं मोटी तो नहीं हो गई होगी? न जाने अपने बालों को कैसा करवा लिया होगा। मुझे पहचानेगी ?, न ही पहचाने तो बेहतर। अभी भी चश्मा लगाती होगी? न जाने कैसी होगी ।
इन खयालों में डुबा, उसने नूकड़ कि दुकान से एक सिगरेट ली, और “काके की दुकान” के तरफ बड़ गया। चाहे कुछ भी बदल जाए एक इंसान कि जिंदगी में, लत कभी नहीं बदलती। उसे भी लत लग चूकी थी, एक सिगरेट और दूसरी उसकी। फर्क बस इतना था कि एक उसे छोड़ती नहीं और दूसरी उसे मिलती नहीं।
वो काके के यहाँ पहुँचा ही था कि मानो समय अचानक रुक सा गया हो । सामने उसके वो थी।
आज भी उसकी बोली में वही एक अनकही सी मिठी रौब थी। चश्मे आज भी वही काले रंग के Full Frame। बाल उसके आज भी वैसे ही पुरे Straightened । हाँ, ईश्वर ने पुरा Summer Vacation खर्च कर उसे बनाया था और बनाने के बाद उस सांचे को तोड़ दिया था।
….अचानक से उसकी नज़र, दुकान के बाहर खड़े एक लड़के पर पड़ी। ये… क्या मैं कोई सपना देख रही? क्या ये वहीं है? उंगलियों में दबी एक सिगरेट, Casual से Trousers और एक Formal सी T-shirt। लग तो वही रहा। शरीर का तो कोई खयाल ही नहीं है। कितना दुबला हो गया है। पता नहीं खाना भी ढंग से खाता की नहीं।
“कैसी हो?”
“तुमसे मतलब? अपनी तबीयत देखो,Scarecrow से लग रहे हो!”
“Oh… शादी कर लि क्या ?”
“सिगरेट पिना छोड़ दिया क्या?”
“ये लो बुझा देता हूँ.. अब बताओ शादी कर ली?”
“ये सवाल पुछने का तुम्हें कोई हक नहीं”
“है..”
“नहीं, नहीं हुई है शादी…”
और तभी न जाने कहाँ से कोई China Mobile बज पड़ा,
“तेरे बिन जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं, शिकवा नहीं,
तेरे बिना, जिंदगी भी लेकिन जिंदगी तो नहीं…..” ❤ ❤